BPSC essay for Mains

BPSC essay for Mains

BPSC मुख्य परीक्षा के लिए उपयोगी निबंध

विकसित भारत की जरूरत: एक राष्ट्र, एक चुनाव या अन्य महत्वपूर्ण कार्य? (bpsc मुख्य परीक्षा/निबंध)

                 भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना और उसे साकार करने के लिए विभिन्न नीतिगत सुधारों और प्रशासनिक बदलावों पर चर्चा लगातार होती रहती है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण विषय एक राष्ट्र, एक चुनाव” है, जिसे देश की स्थिरता और आर्थिक कुशलता के लिए एक आवश्यक कदम माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या यह सुधार भारत के विकास के लिए सबसे प्राथमिकता वाला विषय है, या देश को पहले कुछ अन्य बुनियादी चुनौतियों से निपटना चाहिए? इस आलेख में हम एक राष्ट्र, एक चुनाव” की आवश्यकता, इसके संभावित लाभ और चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, साथ ही उन अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी विचार करेंगे जो वर्तमान में भारत की प्राथमिकता हो सकते हैं।

एक राष्ट्र, एक चुनाव: अवधारणा और तर्क

                   “एक राष्ट्र, एक चुनाव” का तात्पर्य यह है कि लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में, भारत में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं, जिससे शासन व्यवस्था प्रभावित होती है। इस प्रस्ताव को लागू करने के पीछे कुछ प्रमुख तर्क निम्नलिखित हैं:

  • बार-बार होने वाले चुनावों पर सरकार और चुनाव आयोग को भारी खर्च उठाना पड़ता है। यदि सभी चुनाव एक साथ हों, तो इस खर्च को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • लगातार होने वाले चुनावों के कारण नीति-निर्माण प्रभावित होता है। जब कोई राज्य या केंद्र सरकार चुनावी मोड में होती है, तो वह लोकलुभावन घोषणाएं करने लगती है, जिन्हें वर्तमान में रेवड़ी कल्चर के नाम से प्रचलित किया जा रहा हैं। जिससे दीर्घकालिक विकास योजनाओं पर ध्यान नहीं दिया जाता।
  • चुनावों के दौरान आचार संहिता लागू होती है, जिससे सरकार की विकास योजनाओं पर असर पड़ता है। एक साथ चुनाव होने से यह समस्या कम हो सकती है।
  • यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में होते हैं, तो मतदाता अधिक उत्साह के साथ मतदान कर सकते हैं, जिससे लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ सकती है। 

एक राष्ट एक चुनाव की अवधारणा को बतलाने के लिए

एक राष्ट्र, एक चुनाव: चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Bpsc मुख्य परीक्षा) 

हालांकि एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार आकर्षक लगता है, लेकिन इसके साथ कई व्यावहारिक और संवैधानिक चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं।

(क) संघीय ढांचे पर प्रभाव (bpsc mains)

भारत एक संघीय गणराज्य है, जहाँ केंद्र और राज्यों की स्वतंत्र शासन प्रणाली है। राज्यों की अपनी सरकारें अपने कार्यकाल के अनुसार कार्य करती हैं। यदि एक साथ चुनाव की व्यवस्था की जाती है, तो राज्यों की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।

(ख) कार्यकाल असमानता की समस्या

अगर किसी राज्य की सरकार गिर जाती है, तो क्या वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? यदि मध्यावधि चुनाव की आवश्यकता पड़ती है, तो क्या पूरे देश में फिर से चुनाव होंगे? ये सवाल इस प्रस्ताव के व्यावहारिक पक्ष को कमजोर करते हैं।

(ग) लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर

अलग-अलग समय पर चुनाव होने से मतदाता स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों को अलग-अलग महत्व देते हैं। लेकिन यदि चुनाव एक साथ होंगे, तो क्षेत्रीय मुद्दे बड़े राष्ट्रीय मुद्दों में दब सकते हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का असंतुलन पैदा हो सकता है।

(घ) तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियाँ

भारत जैसा बड़ा देश, जहाँ 90 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, वहाँ एक साथ चुनाव कराना तकनीकी रूप से अत्यधिक जटिल कार्य होगा। इसके लिए बड़ी मात्रा में ईवीएम, सुरक्षा बलों, और चुनाव आयोग के विस्तारित संसाधनों की आवश्यकता होगी।

 वर्तमान में भारत की अन्य प्राथमिकताएँ

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” एक महत्वपूर्ण विचार हो सकता है, लेकिन इसके अलावा कुछ और भी ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर वर्तमान में ध्यान देना आवश्यक है।

(क) आर्थिक सुधार और रोजगार सृजन

भारत की अर्थव्यवस्था विकास कर रही है, लेकिन बेरोजगारी अभी भी एक गंभीर मुद्दा है। मैन्युफैक्चरिंग, स्टार्टअप, और MSME सेक्टर को बढ़ावा देना अभी अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है।

(ख) शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार (important for bpsc)

भारत के विकसित होने के लिए एक मजबूत शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली आवश्यक है। सरकारी स्कूलों, विश्वविद्यालयों और अस्पतालों की स्थिति सुधारने की जरूरत है।

(ग) तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नति (Important for bpsc mains)

भारत को वैश्विक तकनीकी शक्ति बनने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता है। सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और अंतरिक्ष विज्ञान में आत्मनिर्भरता विकसित करना प्राथमिकता होनी चाहिए। 

(घ) ग्रामीण विकास और कृषि सुधार

देश की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन किसानों की आय अभी भी संतोषजनक नहीं है। कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देना और किसानों को बाजारों से जोड़ना अधिक जरूरी हो सकता है।

(ङ) न्याय प्रणाली में सुधार

भारतीय न्याय व्यवस्था में लंबित मामलों की संख्या बहुत अधिक है। न्यायिक सुधार कर इसे अधिक कुशल बनाना वर्तमान में अधिक आवश्यक है।

निष्कर्ष: प्राथमिकता किसे दें?

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” का विचार निश्चित रूप से प्रशासनिक सुगमता और आर्थिक दक्षता ला सकता है, लेकिन इसे लागू करने के लिए कई संवैधानिक और व्यावहारिक समस्याएँ हैं। साथ ही, यह सवाल भी उठता है कि क्या यह इस समय भारत की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है?

भारत अभी भी कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है—बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, वैज्ञानिक प्रगति और न्यायिक सुधार। शायद वर्तमान में इन मुद्दों को हल करना अधिक जरूरी है, बजाय एक राष्ट्र, एक चुनाव को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के। हालांकि, इस प्रस्ताव पर गहन विमर्श आवश्यक है, और यदि इसे लागू किया जाता है, तो इसे एक विस्तृत योजना और संवैधानिक संशोधनों के साथ लाया जाना चाहिए ताकि यह वास्तव में लोकतंत्र को मजबूत बनाएं, न कि उसे कमजोर करे।

   अंततः, भारत का विकास सिर्फ चुनावी सुधारों से नहीं, बल्कि समग्र सुधारों से ही संभव होगा।