भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी का विकास: एक व्यापक विश्लेषण
भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) ने 21वीं सदी में भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया है। यह केवल एक औद्योगिक क्रांति का अंग नहीं रहा, बल्कि यह भारत की वैश्विक पहचान को भी सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण साधन बना है। आज, भारत आईटी क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में उभर रहा है, जिसने न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है, बल्कि डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इकोसिस्टम और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति की है।
भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की यात्रा 20वीं शताब्दी के मध्य में आरंभ हुई, जब कंप्यूटर और संचार प्रौद्योगिकी का विकास हुआ। स्वतंत्रता के बाद, सरकार ने वैज्ञानिक शोध और तकनीकी विकास पर बल दिया।
- 1950-70 का दशक:
- 1951 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) ने कंप्यूटिंग और साइबरनेटिक्स पर शोध शुरू किया।
- 1960 के दशक में भारत ने पहला स्वदेशी कंप्यूटर TIFRAC विकसित किया।
- 1970 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स आयोग की स्थापना की गई और आईआईटी जैसे संस्थानों में कंप्यूटर विज्ञान को बढ़ावा दिया गया।
- 1980-90 का दशक:
- 1984 में राजीव गांधी सरकार ने आईटी और टेलीकॉम क्रांति को समर्थन दिया।
- 1988 में नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के माध्यम से ई-गवर्नेंस की शुरुआत हुई।
- 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद, सॉफ्टवेयर उद्योग में विदेशी निवेश बढ़ा, और आईटी कंपनियों का तेजी से विकास हुआ।
- 2000 के बाद:
- 2000 में भारत सरकार ने आईटी एक्ट 2000 लागू किया, जिससे साइबर लॉ की बुनियाद पड़ी।
- 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “डिजिटल इंडिया” अभियान शुरू किया।
- वर्तमान में भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन, साइबर सुरक्षा और क्लाउड कंप्यूटिंग में तेजी से प्रगति कर रहा है।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का आर्थिक प्रभाव

I.T. उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला क्षेत्र बन गया है।
- जीडीपी में योगदान:
- भारत के आईटी और बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (BPM) क्षेत्र का कुल योगदान 2023 में भारत के GDP का 8% था।
- NASSCOM के अनुसार, भारतीय आईटी निर्यात 2023 में 194 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
- रोज़गार सृजन:
- आईटी क्षेत्र में 50 लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं।
- स्टार्टअप और डिजिटल प्लेटफार्मों ने फ्रीलांसिंग और रिमोट वर्क के नए अवसर खोले हैं।
- स्टार्टअप बूम:
- भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब है, जहां 2024 तक 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियाँ स्थापित हो चुकी हैं।
- डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI, Paytm, PhonePe) भारत की वित्तीय क्रांति का नेतृत्व कर रही है।
भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के प्रमुख क्षेत्र
1. ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया
ई-गवर्नेंस ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी, प्रभावी और जनता के अनुकूल बनाया है।
- आधार कार्ड: विश्व की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली।
- डिजिटल भुगतान: UPI और BHIM ने डिजिटल लेन-देन को आसान बनाया।
- UMANG, DIGILOCKER जैसी सेवाओं ने नागरिक सेवाओं को ऑनलाइन सुलभ बनाया।
2. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML)
- AI का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और रक्षा क्षेत्रों में बढ़ रहा है।
- भारत में AI-सक्षम हेल्थकेयर मॉडल रोगों की सटीक पहचान में मदद कर रहे हैं।
3. साइबर सुरक्षा और डेटा प्रोटेक्शन
- 2023 में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) बिल लागू किया गया।
- CERT-In और NCIIPC जैसी संस्थाएं साइबर सुरक्षा को मजबूत कर रही हैं।
4. अंतरिक्ष और टेलीकॉम टेक्नोलॉजी
- ISRO ने चंद्रयान-3 और गगनयान मिशन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई।
- 5G नेटवर्क के लॉन्च के बाद इंटरनेट की स्पीड और संचार तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव आया।
5. ब्लॉकचेन और फिनटेक
- CBDC (Central Bank Digital Currency) को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लॉन्च किया गया।
- ब्लॉकचेन आधारित प्रणालियाँ बैंकिंग, स्वास्थ्य, और कानूनी क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ा रही हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी के सामाजिक प्रभाव

- शिक्षा में परिवर्तन: ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्मों और डिजिटल लाइब्रेरी ने शिक्षा को अधिक सुलभ बनाया।
- स्वास्थ्य सेवाएं: टेली-मेडिसिन और AI आधारित हेल्थकेयर ने दूरस्थ क्षेत्रों में भी इलाज को संभव बनाया।
- सामाजिक समावेशन: डिजिटल इंडिया ने महिलाओं, दिव्यांगों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मुख्यधारा में जोड़ा।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
चुनौतियाँ
- डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता की कमी है।
- साइबर हमले: डिजिटल क्रांति के साथ साइबर हमलों की घटनाएँ बढ़ी हैं।
- डेटा प्राइवेसी: नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
सम्भावनाएँ
- AI और ऑटोमेशन: भारत में AI को बढ़ावा देने से उत्पादकता में वृद्धि होगी।
- 5G और IoT: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) स्मार्ट शहरों और औद्योगिक स्वचालन को नई दिशा देगा।
- मेक इन इंडिया और डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग: इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और सेमीकंडक्टर उत्पादन भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे।
निष्कर्ष
भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी का विकास केवल एक आर्थिक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को लाभान्वित कर रहा है। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप क्रांति और A.I. के विकास के साथ, भारत दुनिया में तकनीकी नवाचार का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। हालांकि, साइबर सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी और डिजिटल समावेशन की चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता बनी हुई है। यदि सरकार, प्राइवेट कंपनियां और नागरिक मिलकर इस दिशा में कार्य करें, तो भारत आईटी क्षेत्र में एक वैश्विक महाशक्ति बन सकता है।
“भारत के आईटी विकास की यह यात्रा निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रही है, और आने वाले वर्षों में यह दुनिया के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है।”